[05/11, 8:28 am] Rajender Singh Karnal: केंद्र सरकार के निर्देश पर केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान करनाल में 25 अक्टूबर 2023 को धान के फसल अवशेष प्रबंधन से संबंधित सभी स्टेक होल्डर किसान फसल अवशेष प्रबंधन में प्रयोग संयंत्र निर्माता उद्योगपति के साथ भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अंतर्गत अनुसंधान संस्थानों हरियाणा पंजाब स्थित चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार के कुलपति गुरु अंगद देव वेटरनरी विश्वविद्यालय लुधियाना के कुलपति भारत सरकार के कृषि सचिव के साथ ऑनलाइन एशिया ट्रॉपिकल खेती संस्थान हैदराबाद से डॉक्टर एम ल जाट सहित सभी ने पराली जलाने को नियंत्रित करने के लिए गहन मंथन किया उपरोक्त मंथन में डॉक्टर एम ल जाट के वक्तव्य फसल अवशेष प्रबंधन में सफलता न मिलने के कारण का आत्म विश्लेषण करके आगे बढ़ने का संदेश दिया गया था हरियाणा विज्ञान मंच का विचार है की फसल अवशेष प्रबंधन की समस्या हमारी खेती के अंदर विविधता किसानों की जोत के आकार ग्रामीण लोगों का खेती के ऊपर निर्भरता इत्यादि से जुड़ी हुई है जबकि मौजूदा सरकारों की ओर से वास्तविक स्थिति को नजर अंदाज करके ऐसे तरीकों को प्रोत्साहित किया जाता है जिन में उद्योगपतियों व व्यापारियों को लाभ हो ऐसी तकनीक जैसी प्राकृतिक खेती में स्थानीय स्तर के संसाधनों के 100% इस्तेमाल पर आधारित है उसमें बाजार से कुछ नहीं खरीदना पड़ता हमारा देश पशुओं की संख्या में भी विश्व में पहले स्थान पर है यह भी सच्चाई है की पशुओं के लिए चारे की निरंतर कमी होती जा रही है गांव की 60% आबादी का पशु आजीविका का साधन है हमारे ग्रामीण क्षेत्र में महिलाओं की बेरोजगारी की दर सबसे ज्यादा है इसका मुख्य कारण है खेती में रोजगार का लगातार कम होते जाना हरियाणा विज्ञान मंच ने प्रदेश सरकार को सुझाव दिया है की पशु चारे के लिए धान की कंबाइन से कटाई के बाद फसल अवशेषों को गरीब लोगों को चारे की जगह इस्तेमाल करने के लिए कृषि किसान कल्याण विभाग हरियाणा द्वारा निर्धारित ₹1000 प्रति एकड़ दे दिया जाए यदि इसे मनरेगा से जोड़ा जाए इसमें 100% कामयाबी मिलेगी इस इसके अलावा त धान के अवशेषों से कमपोस्ट खाद स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा तैयार करवाया जाना चाहिए इससे प्रदेश में 1 लाख से अधिक अधिक महिलाओं को रोजगार मिलेगा केंद्र सरकार द्वारा प्रगति मैदान में नई दिल्ली में विश्व खाद्य प्रदर्शनी में हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 50000 करोड़ विदेशी पूंजी खाद्य प्रसंस्करण में आने की जानकारी दी जबकि उन्होंने स्वयं सहायता समूह को खाद्य प्रसंस्करण में बढ़ावा देने की भी जानकारी दी फसल अवशेष प्रबंधन व खाद्य प्रसंस्करण दोनों स्थितियों का हमारे देश में सरकारों की नीतियों से सीधा रिश्ता है हमारे देश में ऐसी नीति की जरूरत है जिससे स्थानीय स्तर पर रोजगार पैदा होता हो लोगों को काम मिलता हो जबकि पूर्व व मौजूदा सरकार विदेशी कंपनियां व देश के बड़े उद्योगपतियों के हितों की परोपकारी के लिए नीतियां बनती है जिन में रोजगार की बजाय मशीन काम करती है जिनकी वजह से समस्याओं का समाधान नहीं होता है हरियाणा सरकार द्वारा 2 नवंबर को अंत्योदय दिवस मनाया गया अंत्योदय सम्मेलन में 80% भागीदारी स्वयं सहायता समूह से संबंधित महिलाओं की थी लेकिन वे सबसे ज्यादा निराश हुई है क्योंकि स्वयं सहायता समूह की महिलाओं में जागरूकता आने की वजह से वे रोजगार के लिए सबसे ज्यादा मुखर है वे कहती है कि हमारे से हुनर के माध्यम से कोई सामान सरकार बनवा ले लेकिन बिक्री का प्रबंध भी सरकार करें लेकिन सरकार ऐसा नहीं कर रही उसका बड़ा कारण उच्चतम न्यायालय द्वारा चुनाव के लिए इलेक्टोरेट्स बॉन्ड की सुनाई में छिपा हुआ है जिन कंपनियों व उद्योगपतियों से चुनाव के लिए फंड लिया जाएगा नीतियां भी उन्हीं के अनुकूल बनाई जाएगी इसीलिए हमारी समस्याएं सालों दर साल लटकी रहती है डॉ राजेंद्र सिंह राज्य कमेटी सदस्य हरियाणा विज्ञान मंच
[06/11, 9:53 am] Rajender Singh Karnal: हरियाणा पंजाब में सबसे पुराने व प्रतिष्ठित अखबार दैनिक ट्रिब्यून में देश की गरीब आबादी के लिए मुफ्त राशन को लेकर संपादकीय छपा है हम इस समय एक ऐसे चौराहे पर खड़े हैं जहां देश की जनता को ऐसे सबझबाग दिखाई जा रहे हैं जो वास्तविकता से कोसों दूर है हमारे देश के प्रधानमंत्री जी ने आजादी के 75 वर्ष पूरे होने के वर्ष को अमृत कॉल वर्ष का नाम देते हुए उसका नई दिल्ली में स्मारक बनाया है उसके उद्घाटन के समय प्रधानमंत्री जी ने आजादी के 100 साल पूरे होने पर वर्ष 2047 में देश को विकसित राष्ट्र बनने का दावा किया लेकिन यह नहीं बताया कि देश की कितनी आबादी विकसित होगी हमारे देश का कौन सा नागरिक यह चाहेगा कि हमारा देश विकसित राष्ट्र ना बने लेकिन केवल चाहाने व इच्छा पालने से सब कुछ अपने आप नहीं हो जाता देश के विकसित राष्ट्र बनने में सैकड़ो चीज जुड़ी हुई है हमारे देश के महान आध्यात्मिक दार्शनिक स्वामी विवेकानंद ने 1896 में शिकागो में महिलाओं के समाज व विकास में योगदान पर वक्तव्य देते हुए बताया था कि वह देश कितना विकसित है उसे देश में रहने वाली महिलाओं के साथ व्यवहार एक बैरोमीटर है महिलाओं को बराबरी का स्थान दिए बिना कोई देश कभी भी विकसित राष्ट्र नहीं बन सकता यह विश्व का इतिहास कहता है लेकिन देश की आजादी के 75 साल बाद भी हमारे देश में महिलाओं की स्थिति सब के सामने है मैं इस विषय पर गहराई में जाने की बजाय मूल विषय पर ध्यान केंद्रित करूंगा की अब भी बहुत विशेषज्ञ अर्थशास्त्री यह दावा करते हैं कि हमारा देश बड़ी तेजी से विकास कर रहा है वह दिन जल्दी आने वाला है जब हमारा देश विकसित राष्ट्र बनेगा वे इस बात को नजरअंदाज करते हैं की जितनी असमानता हमारे देश में है विश्व में किसी देश में नहीं है जिस देश की 80% आबादी मुफ्त के अनाज पर निर्भर है कि वे अपनी मेहनत से अपने परिवार के लिए भोजन जूटआने में असमर्थ है यह स्थिति भी संभव है कि वह बेरोजगार हो अथवा उसका शरीर कार्य लाइक न हो इसका एक निष्कर्ष यह भी निकलता है कि देश की पूर्व व वर्तमान सरकार ने केवल 20% जनता का ही उद्धार किया है बाकी की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया हैं उनके विकास को ही 80% जनता को काल्पनिक सपना दिखाकर विकास मान लिया जाता है हमारे देश के हरित क्रांति के प्रभाव में अग्रणी राज्य हरियाणा की आज यह स्थिति है कि गांव में 70 प्रतिशत महिलाएं केवल काम देने की बात करती है वह यह कहती है की गुजरा बिल्कुल नहीं हो रहा हमें कोई करने के लिए काम दिया जाए हरियाणा विज्ञान मंच का मानना है कि जब किसी को अपने कार्य से न्यूनतम ₹20000 तक आमदनी मिल जाती है वह कटोरा हाथ में लेकर मांगने की चेष्टा नहीं करता हरियाणा विज्ञान मंच सबसे ज्यादा भूमिहीन परिवारों की महिलाओं को राज्य सरकार द्वारा भूमि उपलब्ध कराने की मांग करता है की 80% आमदनी के कार्य जमीन पर ही होने हैं लेकिन हरियाणा सरकार इस तरफ कोई ध्यान नहीं दे रही कृषि विज्ञान केंद्र महेंद्रगढ़ ने बामनिया स्वयं सहायता समूह को बाजरे के उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण देने के साथ बिक्री में भी मदद की जिसकी बदौलत उन्हें जापान सरकार से 2 करोड रुपए के बाजरे के लड्डू बनाने का आर्डर मिला है इस समूह से जुड़ी हुई महिलाओं को सस्ते अनाज की आवश्यकता अब नहीं रहेगी क्योंकि वह खुद कमाने लग गई है उन्हें अपने समूह से ही आजीविका लायक आमदनी हो रही है हमारे देश की राजनीति में वेलफेयरीज्म का कॉन्सेप्ट पहले इतने व्यापक रूप में कभी- सामने नहीं आया था मंदिर के सामने बड़ी संख्या में भिखारी आने वाले पुजारी की इंतजार में खड़े होते हैं वे उन्हें देखकर हैं कटोरे को आगे करके खाने के लिए कुछ मांगते हैं इसी तरह राजनीतिक पार्टियों गरीब लोगों के वोट लेने के लिए बेरोजगारी की मार का सामना कर कर रहे लोगों को मुफ्त की चीज देने का वादा करती करती है इससे कैसा समाज निर्माण होगा उसकी भी हमें कल्पना और चिंतन करना चाहिए धन्यवाद डॉ राजेंद्र सिंह राज्य कमेटी सदस्य हरियाणा विज्ञान मंच